प्रयास – स्वस्थ शरीर के लिये इस एक कदम का…
आज के समय में अधिकांश लोग कैरियर की असीमित व्यस्तता, जिन्दगी की जद्दोजहद में बिगडा हुआ खान-पान व दिनचर्या के इस दौर के चलते अपने परिजनों सहित नाना प्रकार की समस्याओं से जूझते, स्वस्थ शरीर का अपना सामान्य सा लक्ष्य भी प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं । जितने अधिक अस्पताल, डाक्टर और अनुसंधान बढ रहे हैं, उससे अधिक तेजी से रोग और शारीरिक समस्याएँ भी बढती जा रही है । इसके साथ दूसरी समस्या यह भी है कि निरन्तर बढती मँहगाई और चिकित्सा के क्षेत्र में बढते व्यापारवाद के कारण छोटी-छोटी समस्याएँ भी सामान्य लोगों को बडे उपचार खर्चे में उलझाते हुए बढते मासिक खर्च के साथ ही उनका मानसिक संतुलन भी बिगाड रही हैं । इन विपरित स्थितियों के बावजूद भी यदि हम चाहें तो शरीर स्वास्थ्य के कुछ सामान्य नियमों का पालन करते डॉक्टरों व अस्पतालों के अनावश्यक चक्करों से स्वयं को बचाए रखने का प्रयास कर सकते हैं…
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स्वस्थ शरीर के लिये खान-पान और जीवनशैली
वैसे तो स्वास्थ्य से सम्बन्धित समस्याओं से बचाव के लिये यदि हम अपने आहार-विहार व जीवनशैली में थोडी भी नियिमतता बनाए रखने का प्रयास करें तो सभी प्रकार की मौसम के प्रभाव से उपजी बीमारियां और अनुचित खान-पान व जीवनशैली के कारण उपजी समस्त प्रकार की शारीरिक समस्याओं को स्वयं से दूर रखकर स्वस्थ जीवन जीने के प्रयास में सफल बने रह सकते हैं ।
किन्तु फिर भी शरीर स्वास्थ्य से जुडी छोटी-बडी समस्याओं का सामना हम सभी को जीवन में अक्सर करना ही पडता है । यदि इनमें उन समस्याओं को हटा भी दिया जावे जिनका समाधान आधुनिक ऐलोपैथिक चिकित्सा के बगैर हो ही नहीं सकता तो भी ऐसी अनेक बीमारियां जिनमें हम नियमित दवाईयां लेते हुए उन समस्याओं को काबू में रखने का प्रयास करने के साथ ही उनसे रोगमुक्त हो सकें, इस कोशिश में कई वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली यथा आयुर्वेद, होम्योपैथ या प्राकृतिक स्वदेशी चिकित्सा में प्रचलित उपचार प्रणाली को अपनाने में भी रुचि रखते हैं, और ऐसे ही जिज्ञासु पाठकों तक मेरे द्वारा अब तक संकलित इस विधा का उपलब्ध ज्ञान मेरी अपनी शैली में मैं आप तक पहुंचा सकूं इसी कोशिश को साकार करने हेतु इस “स्वास्थ्य सुख” ब्लॉग को आपके सामने लाने का मैंने प्रयास किया है ।
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स्वस्थ जीवन के लिये मैथुन-सुख का महत्व…
स्वस्थ शरीर के लिये
हो सकता है कि मेरी यह कोशिश कोई अनोखी ना हो, क्योंकि इसी विषय पर कई विशेषज्ञ डाक्टर, वैद्य व लेखक भी सम्बन्धित जानकारी आपके समक्ष ला ही रहे हैं, किन्तु मुख्यतः जानकारियों में नवीनता तो बढेगी ही, ऐसा मेरा विश्वास है । आपके पास भी यदि ”पहला सुख निरोगी काया” के सिद्धांत से जुडी इस प्रकार की उपयोगी समझी जाने जैसी अप्रकाशित सामग्री हो जो आप जनसामान्य के सामने लाना चाहें तो आप इस ब्लाग पर उसका प्रसारण अपने स्वयं के परिचय द्वारा करवा सकते हैं ।
आपका सदैव स्वागत रहेगा…
सुशील बाकलीवाल
बहुत अच्छी jankari